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गुजर गया एक और दिन || बिन देखे, बिन बात किए।

गुजर गया एक और दिन,

बिन देखे, बिन बात किए।

वो जो कहते थे सब्र करो,

सब्र का फल मीठा होता है।

फिर क्यों नही ला दे देते उसे मुझे,

जैसे वो फल हो कोई।

चलो मान लिया नही होती सब्र मुझसे,

रोक नही सकता विचारो को अपने,

क्या बस यही कारण है??

मेरे गलत किरदार का!!!

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