जब कही दिन भर के गुलामी के बाद सर से जिमेद्दारियो का उतरता है बोझ,
तब सताती है उसकी याद।
देख लेता हु सड़क पर जोड़ो को हाथ पकड़े हुए,
तब सताती है उसकी याद।
खा-पी कर सुकून की तलाश में बिस्तर से लिपटता हू जब,
तब सताती है उसकी याद।
आंखे बंद करके नींद का इंतजार करता हु,
और........
मैं ना चाहते हुए भी सिर्फ उसे याद करता हूं,
तब सताती है उसकी याद।।
0 Comments